क्या भय भगवान की बुनियाँद है?
फ्रेडरिक नित्झे कहते हैं------
भगवान उन लोगों की खोज है जो -----
कमजोर हैं … ..
जो भयभीत हैं … ..
जो समस्यायों का सामना नहीं कर सकते /
बीसवीं शताब्दी के महान मनोवैज्ञानिक सी जी जुंग कहते हैं -------
मध्य उम्र के लोगों में ऐसे आदमी को खोजना कठिन कई जिसके मष्तिस्क में प्रभु की सोच की
ग्रंथि न होती हो /
अब आप सोचिये की आप किस श्रेणी के ब्यक्ति हैं?
क्या महाबीर , बुद्ध , रामकृष्ण परम हंस , चैतन्य महा प्रभु , आदि शंकाराचार्य जैसे लोग
भयभीत मानसिकता के थे ? महाबीर और बुद्ध के सामनें कौन सी मजबूरियाँ थी कि वे लोग
सत्य की खोज में महल त्याग दिए और भागते रहे जंगलों में ?
प्रोफ . आइन्स्टाइन एक बार नहीं लाखों बार प्रभु को याद किया है और जब उनके दिमाक मे यह बात आयी … .....
God does not play dice .
तब से अंत तक वे उस नियम की तलाश में गुजार दिया जिस नियम से प्रभु इस ब्रह्माण्ड की रचना
किये हैं / वह कौन सा नियम है जो प्रकृति को बनाए हुए है ? - यह खोज थी आइन्स्टाइन की लेकिन
पूरी न हो सकी /
राम , कृष्ण , क्राइस्ट , मोहमद साहिब तथा अन्य पैगम्बर , पीर – फकीर जो भी आये सब
फेल हो कर गए हैं , यहाँ आजतक कोई पास नहीं हुआ , पता नहीं क्या कारण है ?
गीता में प्रभु कहते हैं------
मोह – भय के साथ वैराज्ञ नहीं मिलता और बिना वैराज्ञ प्रभु की हवा नहीं लगती और
नित्झे कहते हैं … ...
भगवान शब्द भयभीत लोगों की देन है , अब आप सोचिये कि … ..
क्या आप के मन मे भी प्रभु के लिए कोई संदेह है ?
=====ओम=======