Thursday, September 11, 2014

जीवन एक परम प्रसाद है

* सच्चाई से भागना मनुष्यका स्वभाव बन गया है । 
 * सच्चाई से तुम भाग सकते हो लेकिन क्या तुम्हें पता है कि सच्चाई हमेशा तुमसे चिपकी रहती है , उसे अलग करना असंभव है ?
 * सच्चाई से भागना एक भ्रम है यह भ्रम आप के जीवनको धीरे - धीरे पीता चला जाता है और अंततः आप आम की गुठली बन कर तन्हाई में शरण लेते हो। 
* चाहे अपनें को जितना छिपा लो लेकिन लोगों को तुम्हारी असलियतका पता आज नहीं हो कल लग ही जाएगा ।
 * लोग तुम्हारी असलियत जानते तो हैं पर तुम्हारे सामने अपनें को अनभिज्ञ सा दिखाते हैं और जब तुम वहाँ से चले जाते हो तब उनके चहरे देखनें लायक होते हैं । 
<>सच्चाई से भागो नहीं उसे समझो । 
<> सच्चाई से आँख से आँख मिलानें की उर्जा पैदा करो ।
 <> सच्चाई के सामनें खडा होनें की ताकत पैदा करो।
 <> जिस दिन सच्चाई के साथ रहनें लगोगे , लोग धीरे - धीरे अपनीं नजरिया बदलनें लगेंगे और आप उनके प्यारे हो जाओगे । <> जीवन एक परम निर्मल सत्य है , उसकी निर्मलता आप के हांथों में है ।
 ~~ ॐ ~~

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