Friday, June 5, 2015

कतरन - 15 जन्म से जो कर्म ...

1 - जन्मसे जो कर्म मिला है वह तो परिवर्तनीय है लेकिन कर्म से जो जन्म मिला है उसे तो जीना ही
पडेगा ।
2 - जो जहाँ से आता है उसे देर - सबेर वहीँ लौटना ही पड़ता है । उस स्थानको गीत : 2.28 अब्यक्तकी संज्ञा देता है ।
3 - हमसब का वर्तमान एक यात्रा है पर ऐसी सोच रखता कौन है ? जो ऐसी सोच से तृप्त है , वह है ,
बैरागी ।
4 - जो मजा रिश्ता बनानें में मिलता है वह मजा रिश्ता बना कर जीनें में नहीं रह पाता लेकिन ऐसी बात उनसे सम्बंधित है जो बासनाके सम्मोहन में रिश्ते जोड़नें में जल्दी करते हैं । भक्त और मालिक का आपसी संबंध जिसे रिश्ता तो नहीं कहा जा सकता , तबतक बना रहता है जबतक दोनों आमनें - सामनें होते हैं लेकिन वह वक़्त भी आ ही जाता है जब भक्त अपनें मालिक में समा जाता है ।
5 - दूसरे के जीवन पर अपनीं आँख न गड़ाओ , तुझे जो मिला है , इसका मज़ा लो ।
~~~ ॐ ~~~

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